गङ्गा दशहरा* *सुदशा व्रत* पर

*ज्येष्ठ मास शुक्ल पक्ष दशमी तिथी गुरुवार हस्त नक्षत्र*
*गङ्गा दशहरा* *सुदशा व्रत*
गङ्गादशमी–ज्येष्ठमासके शुक्लपक्ष की पावन दशमी तिथी को पुण्यसलिला भगवती भागीरथी श्रीगङ्गा जी का हस्त नक्षत्रमें स्वर्गसे भारतकी इस पवित्र धरा पर अवतार हुआ।
*दशम्यां शुक्लपक्षे तु ज्येष्ठे मासि कुजेsहनि* ।*अवतीर्णा ह्यधः स्वर्गाद्धस्तर्क्षे च सरिद्वरा*।।
(*वराहपुराण*)
इस परमपावन तिथी में श्रीगङ्गा स्नान एवं श्रीगङ्गाजी के पूजन से दस प्रकारके पापों (तीन कायिक, चार वाचिक तथा तीन मानसिक) का नाश होता है ।इसीलिये इसे दशहरा कहा गया है—
*ज्येष्ठ मासि सिते पक्षे दशमी हस्तसंयुता।*
*हरते दश पापानि तस्माद् दशहरा स्मृता*।।
(ब्रह्मपुराण)
इस दिन गङ्गाजीमें अथवा सामर्थ्य न हो तो समीपकी किसी पवित्र नदी या सरोवर के जलमें स्नान कर अभयमुद्रा युक्त मकरवाहिनी गङ्गाजी का ध्यान करे निम्न मंत्र से आवाहनादि षोडशोपचार पूजन करे—
*ऊँ नमःशिवायै नारायण्यै दशहरायै गङ्गायै नमः*।।🌹
गङ्गा गङ्गेति यो ब्रूयाद्योजनानां शतैरपि।
नरो न नरकं याति किं तया सदृशं भवेत्।। हर हर गङ्गे🌹
समस्त चराचर जगत् के नर नारियों को गङ्गा दशहरा,सुदशा व्रत व विश्व पर्यावरण दिवश की हार्दिक शुभकामनाएं।।🌹🙏जय मां बंजारी
आचार्य पं.किशोर पाणिग्राही
(ज्योतिष, कर्मकांड, भागवताचार्य)