छत्तीसगढ़रायगढ़

ग्राम – करवाही में पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे जी की शोक सभा का आयोजन

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ग्राम – करवाही में पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे जी की शोक सभा का आयोजनरायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड के दूरस्थ वनांचल में बसे, ग्राम करवाही में दिनांक 06/07/

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2025 को शाम 07 बजे पद्मश्री डॉ सुरेन्द्र दुबे जी की शोक सभा का आयोजन किया गया।डा सुरेन्द्र दुबे जी का निधन 26 जून 2026 को हो हुआ था। जिससे छत्तीसगढ़ के साथ साथ पूरे देश और दुनिया भर के साहित्य कारों तथा जनता में शोक का लहर व्याप्त है।
छत्तीसगढ़ प्रांत के रायगढ़ जिले के तमनार विकासखंड अंतर्गत, एक दूरस्थ वनांचल में बसे ग्राम करवाही में, देश के सुप्रसिद्ध हास्य एवं व्यंग्य कवि के निधन पर शोक सभा का आयोजन करना साहित्य जगत के प्रति आम लोगों के मन में श्रद्धा की भावना को दर्शाता है।विदित हो कि ग्राम करवाही में धर्म, संस्कृति और साहित्य के प्रति एक विशेष रुचि और जागरूकता देखने को मिलता है। यहां धार्मिक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम समय-समय पर आयोजित होते रहते हैं।ग्रामवासियों के द्वारा विगत चार पांच वर्षों से लगातार हिंदू नव वर्ष के अवसर पर विशाल कवि सम्मेलन का आयोजन किया जाता रहा है।इस वर्ष हिंदू नव वर्ष के अवसर पर काव्य पाठ करने के लिए पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे जी को आमंत्रित किया गया था। इस गांव के लोगों के साहित्य के प्रति रुचि एवं जागरूकता को देखते हुए डॉक्टर सुरेंद्र दुबे जी ने मंच पर घोषणा किए थे कि वे प्रतिवर्ष हिंदू नव वर्ष के अवसर पर ग्राम करवाही के कवि सम्मेलन में सम्मिलित होंगे। परन्तु विधि का विधान कुछ और ही था।26 जून को उनका आकस्मिक निधन हो गया। जिससे पूरे गांव के लोगों में शोक की लहर व्याप्त हो गई।तभी से ग्राम वासियों में योजना थी कि किसी शुभ अवसर के दिन डॉक्टर सुरेंद्र दुबे जी को आसपास के साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति में शोक सभा कर श्रद्धांजलि दी जावेगी।
दिनांक 07//07/2025 को गांव में रथ यात्रा एवं पवित्र एकादशी व्रत के पावन अवसर पर पद्मश्री डॉक्टर सुरेंद्र दुबे जी की फोटो को बीच बस्ती में रखकर दीप प्रज्वलित किया गया। और समस्त ग्राम के महिलाएं, पुरुष और बच्चे एक-एक करके उनकी छायाचित्र पर श्रद्धा सुमन अर्पित करते गए। ग्राम के युवा कार्यकर्ता गोपाल सिंह सिदार जी ने कहा कि हम समस्त ग्रामवासी संकल्प लेवें कि प्रतिवर्ष हिंदू नव वर्ष के कार्यक्रम में उनकी छायाचित्र मंच पर रखकर कवि सम्मेलन को अनवरत आगे जारी रखेंगे। जिससे हम अपने बीच उनकी उपस्थिति महसूस करेंगे। वरिष्ठ ग्रामीण श्री प्रताप सिंह सिदार जी ने भी गहरा शोक व्यक्त किये। श्री भीमराव नायक जी ने गहरा सुख व्यक्त करते हुए कहा की वह हमारे छोटे से गांव में हमारे आग्रह को स्वीकार करके आए थे और प्रतिवर्ष आने का वादा किए थे इसलिए हम उन्हें कभी भुला नहीं पाएंगे। साहित्य क्षेत्र से प्रतिनिधित्व करते हुए संस्कार भारती रायगढ़ इकाई के कार्यकारी जिला अध्यक्ष श्री हरेंद्र प्रसाद डनसेना जी ने शोक व्यक्त करते हुए कहा कि एक साहित्यकार की मृत्यु कभी नहीं होती है। वह हमेशा अमर होते हैं। क्योंकि वह अपनी रचना के माध्यम से समाज में हमेशा जीवित रहते हैं। क्योंकि जब भी कोई पाठक उनकी रचनाओं को पढ़ते हैं,तो वे यह नहीं कहते कि *कवि ने कहा था।* बल्कि हमेशा यही कहा जाता है कि- *कवि कह रहे हैं* । इसी कथन से पता चलता है की कवि अमर हो जाते हैं। अंतिम संबोधन में श्री सत्यानंद राठिया जी ने कहा की उनका इस तरह से आकस्मिक निधन होना पूरे छत्तीसगढ़ देश और दुनिया के लिए तथा पूरे साहित्य जगत के लिए अपूर्णनीय क्षति है। उन्होंने आगे कहा कि केवल उनके शरीर का ही निधन हुआ है,वे आत्मिक रूप से हमेशा हमारे बीच जिंदा रहेंगे। राठिया जी ने उनकी एक विशेष युक्ति को दोहराया की *टाइगर अभी जिंदा है*। वास्तव में वे हमारे बीच जिंदा हैं और हमेशा रहेंगे।
कार्यक्रम में समस्त ग्राम वासियों के साथ-साथ विशेष रूप से श्री सत्यानंद राठिया जी- (पूर्व मंत्री छत्तीसगढ़ शासन,) श्री अरुण राय जी -(पूर्व जिला पंचायत सदस्य), श्री हरेंद्र प्रसाद डनसेना जी (जिला कार्यकारी अध्यक्ष- संस्कार भारती रायगढ़ इकाई की ओर से) श्री याद लाल नायक जी, श्री अग्नि बेहरा जी,श्री गजपति राठिया जी ( पूर्व सरपंच), श्री राजकुमार सिदार जी,(ग्राम प्रमुख),श्री राजेन्द्र सिदार जी (सरपंच),श्री प्रताप सिंह सिदार जी, श्री भीम राम नायक जी ,श्री गोपाल सिंह सिदार जी,श्री तुलाराम पटेल जी, श्री तेजराम नायक जी, श्री महेश पटनायक जी ,श्री तेज राम पटेल जी, श्री शालिक राम पटेल जी,श्री मकरध्वज नायक जी,श्री रूपेंद्र कुमार पटनायक जी, श्री पुरुषोत्तम राठिया जी, कु.फिजा नायक(सदस्या- संस्कार भारती) एवं समस्त ग्रामवासी महिला, पुरुष एवं बच्चों की उपस्थिति रही।

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